राजेश मेहरा
नई दिल्ली
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उलझन
आज फिर रवि की वाइफ निशा का फ़ोन आया था। दोनों सास बहू में फिर कोई झगड़ा हुआ था। इधर रवि के आफिस में पहले ही बहुत टेंशन थी।
ये रोज की कहानी थी।
रवि भी सास और बहु में होने वाले झगड़ो से परेशान था लेकिन वह अपनी माँ और अपनी पत्नी दोनों से ही बहुत प्यार करता था और दोनों को ही समझाता रहता था लेकिन दोनों ही एक जैसी थी कि समझती ही नही।
दोनों का झगड़ा ही इस बात का था कि रवि अब उनकी बात नही मानता, माँ का मानना था कि वो अपनी पत्नी का गुलाम हो गया है और पत्नी का मानना था कि वो बस अपनी माँ की ही बात सुनता व मानता है। उधर रवि सोचता था कि उसकी तरफ कौन है?
रवि उलझन में था कि वो कहाँ जाए, क्या करे?
रवि के घर में घुसते ही उसकी पत्नी निशा शुरू हो गई और रवि की माँ की दस कमियाँ गिना दी, रवि ने बड़ी मिन्नतों से उसे समझाया और अपनी माँ के कमरे में पहुँचा। वहां माँ ने भी दनादन शिकायतों की झड़ी लगा दी कि तेरी घरवाली ऐसी तेरी घरवाली वैसी। रवि ने माँ को भी समझाया ओर अपने कमरे में आ गया।
उसका शरीर बुखार से तप रहा था। दोनों ने ही उसके बारे में नही पूछा। दोनों सो चुकी थी। रवि ने भी बुखार की गोली ली और भूखा ही सो गया कि उसे कल फिर इस झगड़े से सामना करना है और आफिस की टेंशन से अलग।
राजेश मेहरा
नई दिल्ली।