नक़द के कद के मुताबिक सही यहाँ पद मिलेगा,
हैरान न हो तुझे भी, जानकारी का हक मिलेगा ।
दौर हो मत विभाजन का, या सरकार बचाने का,
दाम है हर वफ़ा का, बिन माँगे मुनासिब मिलेगा ।
राज है जम्हूरियत का, जनता जमूरे से कम नहीं,
वोट के बदले उसे भी, दारू देसी का दम मिलेगा ।
दम है अगर किसी में, दिखा करके सियासी कसरत,
टिकट तो किसी का नहीं, वोट खुद का कम मिलेगा ।
मुकम्मल है आज़ादी ख्यालात की मुल्क लाज़वाब ये,
हकीकत की जमीं तक, लाने में अभी वक़्त लगेगा ।
ग़र बदल भी जाये निज़ाम, किस्मत 'रवि' न बदलेगी,
हुनर रहे बस कलम का , सुकूँ इसी में हरदम मिलेगा ।
' रवीन्द्र '