थके हैं पाँव ओझल राह यादें क्यों सताती है?
कोई नगमा सुनाओ यार मुझको नींद आती है।
याद सारी...गरल हो गई
हम लुटे औ..पहल हो गई
इश्क की बस उड़ी किरकिरी
यूँ कि समझो गज़ल हो गई
एक मतला दो शे'र--
छलकता नीर आँखों से किसी की ये निशानी है
मुकद्दर में लिखी है हार,अपनी ये जुबानी है।
बड़ा बदनाम करता है जमाना इस मुहब्बत को
हमें लगता ज़माने की ठनी रंजिस पुरानी है।
मुहब्बत फिर भी जिंदा है कयामत तक लड़ेगी ये
किसी की आँख का पानी हमारी ही कहानी है।
रे हुस्न की ख़ामोशी को डर कितना है
चेहरा छुपा के चलते वो,जहर कितना है